Friday, December 31, 2010

कोशी अंचल की अनमोल धरोहरें : हरिशंकर श्रीवास्‍तव 'शलभ'


कोसी अंचल के प्रतिष्‍ठित लेखक हरिशंकर श्रीवास्‍तव 'शलभ' की पुस्‍तक 'कोशी अंचल की अनमोल धरोहरें' कोसी अंचल की साहित्‍यिक-सांस्‍कृतिक विरासत को सामने लानेवाली महत्‍वपूर्ण दस्‍तावेजी पुस्‍तक है। ऐतिहासिक, साहित्‍यिक एवं सांस्‍कृतिक निबंधों के इस संग्रह को समीक्षा प्रकाशन, मुजफ्फरपुर द्वारा 2005 ई. में प्रकाशित किया गया है। संग्रह में अंचल की धार्मिक एवं ऐतिहासिक धरोहरों, गंधवरिया राजवंश एवं उसकी सांगीतिक धरोहरों, लोकदेवों, जननायक भीम कैवर्त और कोशी गीत पर लिखित आलेखों के अलावा अंचल के दस प्रतिष्‍ठित एवं महत्‍वपूर्ण लेखकों के व्‍यक्‍ितत्‍व एवं कृतित्‍व का समुचित परिचय प्रस्‍तुत किया गया है। ये दस लेखक हैं : यदुनाथ्‍ा झा यदुवर, पं. छेदी झा द्विजवर, पुलकित लालदास मधुर, पं. युगल शास्‍त्री प्रेम, सत्‍यनारायण पोद्दार सत्‍य, राधाकृष्‍ण चौधरी, परमेश्‍वरी प्रसाद मंडल, पं. राधाकृष्‍ण झा किसुन, प्रबोध नारायण सिंह तथा लक्ष्‍मी प्रसाद श्रीवास्‍तव। इन लेखकों पर प्रस्‍तुत सामग्री संस्‍मरणात्‍मक भी है और उनकी रचनाओं का परिशीलन करते हुए उनके साहित्‍यिक अवदान का रेखांकन भी।
श्री शलभ का जन्‍म 1 जनवरी 1934 ई. को मधेपुरा (बिहार) में हुआ था। बिहार सरकार की सेवा करते हुए कल्‍याण पदाधिकारी के रूप में सेवानिवृत्‍त श्री शलभ ने हिन्‍दी भाषा एवं साहित्‍य में स्‍नातकोत्‍तर तथा विधि स्‍नातक की उपाधियॉं प्राप्‍त की हैं। आपकी अन्‍य प्रकाशित कृतियॉं निम्‍नांकित हैं : अर्चना (गीत-संग्रह, 1951), आनंद (खंड काव्‍य, 1960), एक बनजारा विजन में ( कविता-संग्रह, 1989), मधेपुरा में स्‍वतंत्रता आंदोलन का इतिहास (1996), शैव अवधारणा और सिंहेश्‍वर स्‍थान (1998), मंत्रद्रष्‍टा ऋष्‍यशृंग (2003) तथा़ अंगिका लिपि की ऐतिहासिक पृष्‍ठभूमि (2006)।

1 comment:

  1. नए साल में ’कोसी साहित्य’ के पाठकों को आपने नायाब उपहार भेंट किया है, पुस्तक समीक्षा के लिए आभार व बधाई! नववर्ष की हार्दिक मंगलकामनाएं

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